आज हम थोड़े ग़मगीन हैं....और भला क्यों न हो...अगर दिल की
बात सामने आई है..तो दर्द भी सामने आएगा ही....किसी बड़े विद्वान
दार्शनिक ने कहा है -दिल तो आखिर दिल है न...मीठी सी मुश्किल
है न...अब क्या बताये साहब...य़ू तो नज़रे पहले भी चार हुई थी..
मगर हमारे दिल की गिटार य़ू न बजी थी..हालांकि पहल हुई सामने
से ही...फिर वही सिलसिला...दो बाते इधर से चार उधर से....बस जी
पूरी लगन से लगे थे हम...दिन रात तेज़ हवांए चलती..कानों में घंटियाँ
सी बजती थी...वो किलनिया मुस्कान दिल को घायल करती रहती थी.
टेबल पर पीले फूल भी सजने लगे थे...अब तो exams का भी डर नहीं
लगता था, teacher लोगों को भी हैरानी थी...आज- कल किसी के टूटने
फूटने की,स्कूल में प्रिय पिल्ले का आगमन या library में उत्पात की
ख़बरें नहीं आ रही....यहाँ तक की maths वाले सर की punishment के
अत्याचार भी बड़े प्यार से उठाये जा रहे है.....हाय ये नन्हा दिल सब
प्यार से सह रहा था....मगर इक दिन....इसकी हँसी छिन गयी..ख़ुशी
छिन गयी और तो और गिटार के तार भी टूट गए.....
अब ये न पूछना कैसे.....भैया दिल टूटा था मजाक नहीं था...
अब तो...इक ही बार में ये फ़साना कहा नहीं जाता...दर्द मिला तो था
बहुत पहले, पर आज भी सहा नहीं जाता......
फिर कभी कहेंगे की हुआ क्या था.....
Friday, May 14, 2010
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:)
ReplyDelete:-)
ReplyDeleteनमस्कार जी !
ReplyDeleteबहुत सुन्दर .... बेहतरीन
बहुत सुंदर - अगली पोस्ट का इन्तजार रहेगा
ReplyDeleteमेरी लड़ाई Corruption के खिलाफ है आपके साथ के बिना अधूरी है आप सभी मेरे ब्लॉग को follow करके और follow कराके मेरी मिम्मत बढ़ाये, और मेरा साथ दे ..
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